Wednesday, April 28, 2010

ae megh baras


ऐ मेघ बरस, टप टप खस खस,
मरुस्थल में भर दे रस रस रस रस.

धरती से कुछ तो प्यार दिखा, 
ऐसा भी ना खुमार दिखा.

यहाँ आस प्यास के मिटने की है,
सजनी पे बूँदें छीटने की है.

इश्क में गिरना आता है हमें,
तू बस रास्ते में फिसलन बना.

तू आज ज़रा कुछ ऐसे बरस,
मौसिकी का हो आखरी रक्स.

तन्हाई का ये मंज़र टूटे,
खिल उठे जो रिश्ते थे छूटे.

इश्क छुपा, इश्क दिखा ,
आग लगा, दिल को जला ,
तोड़ बंधन, धम धम , धड़ धड़,
प्यासी ज़मीन पे गिरजा गिरजा.

गरज गरज तू बरस बरस,
थम थम, झम झम, टप टप, खस खस.

ऐ मेघ बरस, टप टप ,खस खस,
मरुस्थल में भर दे रस रस, रस रस.